सपने कैसे कैसे
जो कुछ सपने सबसे जबर्दस्त असर डाल गये मन पर उनमें से एक था मुन्नू जी का मर जाना। अभी भी याद है उस सुबह मैं रो रहा था और रोते हुए उसके दिल्ली वाले नंबर पर फोन किया था। सबकुछ ठीक था। पता नहीं वैसा सपना क्यूं आया था। उस घटना को करीब बीस साल हो गये।
पिछले दिनों सरकारी नौकरी की अजीबोगरीब सपने ने राहत सी दी। बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में चूक जाने से मैं पहले से ही बहुत टूटा-टूटा और बिखरा सा रहता हूं। संभव है कि मन इतना ज्यादा इन बातों में लगा रहता है कि सपनों की ग्रंथियों पर भी इसका जोरदार असर हुआ होगा। बिजली विभाग की वह छोटी सी नौकरी का सपना कितना अच्छा लगा। यह सोचकर कि मैं बिहार में रहूंगा मन एकदम खुश हो गया था।
जिंदगी बीत जाए तो ये सब कहानियों का कोई मतलब नहीं रहेगा।
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