Sunday, March 3, 2024

हर-हर महादेव

 

                                                     दुर्घटना- जीवनदान

डरते हुए जीना और इस दौरान अचानक कुछ घटित हो जाना उस डर को और मजबूत कर देता है। 

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में दर्शन के लिए जिस कतार में हम चारों लगे, उसमें दर्शन होने में करीब साढ़े छह घंटे लग गये। हम दोनों के साथ बच्चे भी करीब-करीब भूखे रहे। उनका रोना, सिसकना, सहमा होना और थककर हमारी गोद में बार-बार आ जाना उनकी बेबसी को बयां कर रहा था। जुगाड़ से दर्शन करने का एक हल्का सा प्रयास असफल रहा था और वहां की स्थिति बाकी मंदिरों की तरह ही भ्रष्टाचार से भरी हुई थी। तीन सौ और पांच सौ रुपये में कतार तोड़ कर दर्शन दिलाने की बात कहते हुए वहां के लोग आसपास चक्कर काट रहे थे।

बहरहाल दर्शन हो जाने और फिर वापस मुंबई के रास्ते पर आगे बढ़ जाने के बाद हमें लगा कि एक बड़ा यज्ञ सफल हुआ। थकान अनहद थी तो रास्ते में एक जगह ढाबे पर खाकर मैं भी पिछली सीट पर ही आ गया। आगे ड्राइवर के बगल में ऊंघना वह भी उन पहाड़ी रास्तों में रात के सफर में जोखिम भरा हुआ था। हाई से करीब तीस-चालीस किलोमीटर दूर गाड़ी पचास-साठ की रफ्तार में चल रही होगी कि अचानक जोर की आवाज और झटके से गाड़ी थोड़ी आगे जाकर रूकी। कुछ सेकंड हमलोग समझ नहीं सके कि क्या हुआ है। फर पलट कर देखा तो दूर एक गाड़ी के हेडलाइट बंद थी और पार्किंग लाइट जल रही थी। 

समझ में आ गया कि अनियंत्रित कार ने हमारी कार को पीछे से ठोका है। टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि भाग्य और मैं दोनों ही पूरी तरह अपनी जगह से हट चुके थे। भाग्य के गोद में गन्नू था और मेरी गोद में तन्वी थी और दोनों ही बच्चे सो रहे थे जो टक्कर के बाद उठकर रोने लगे। हमलोग बड़े थे तो हम रो नहीं सकते थे लेकिन हम बुरी तरह भयभीत हो चुके थे। ड्राइवर ने दरवाजा खोला और निकलता इससे पहले बगल में रॉकेट की रफ्तार में पिछली गाड़ी निकली। अब चूहे-बिल्ली का खेल रोड पर शुरू हुआ। ड्राइवर उस गाड़ी का पीछा कर रहा था और उसने अपना मोबाईल मुझे दे दिया था जिससे मैं अगली गाड़ी का वीडियो बना रहा था जिसमें कि उसका नंबर दिख रहा था।

यह एक ऐसी दुर्घटना साबित हो सकती थी जो बहुत बड़ी अनहोनी होती। सपरिवार एक छोटी कार में पहाड़ी रास्ते में और रात में किसी तेज कार का मेरी कार को हिट करना और हम चारों का फिर भी सकुशल होना इसके बहुत तरीके से सोचा जा सकता है।


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