Sunday, March 24, 2024

आत्मसमर्पण

 

                                                      है महावीर करो कल्याण...                   

जो भी घटित हो रहा है वह संयोग नहीं लगता है। किसी खास दिन हुई कोई घटना संयोगवश हो सकती है लेकिन निरंतर हो रही घटनाएं संयोग नहीं हो सकती है। जो अहसास से बचने के लिए तमाम प्रयास किये जाते रहे हों और जहां से छिपने के लिए सारी कोशिशें की जाती रही हो, वह अहसास बार-बार हो और चाहकर भी छिपने की जगह नहीं मिले इसका मतलब यही है कि जो घटित हो रहा है वह संयोग नहीं बल्कि सुनियोजित घटनाएं हैं।

आध्यात्म एक रास्ता है जिससे भटकाव को रोककर ठहराव की ओर बढ़ा जा सके। इस रास्ते पर चलते हुए भी काफी महीने और साल बीत गये लेकिन वैसा कुछ हाथ न आया जिसके सहारे लगे कि कुछ बदल जाएगा।

अवसाद में जा रहे व्यक्ति को नकारात्मकता अपनी ओर आकर्षित करती है तब जबकि वह कर्ज में हो या किसी तरह का कोई फैसला लेने में खुद को असमर्थ महसूस कर रहा हो। घर-परिवार, दोस्त-महफिल, दफ्तर आदि से अलग मंदिर का रास्ता नापने के बाद भी वह ठहराव कहीं नजर नहीं आ रहा जो अबतक आ जाना चाहिए था। इसके विपरीत भ्रम का माहौल और फैलता ही जा रहा है। 

कुल मिलाकर अब इस मंगलवार से एक ऐसी कठोर साधना शुरू करने का फैसला लिया गया है जैसी साधना इससे पहले कभी नहीं हुई। यानि कि जिस स्तर की बीमारी, उसी स्तर की दवाई। साथ में यह भी तय है कि अगर यह दवा काम नहीं आई तो फिर कोई दवा काम नहीं आएगी। यानि कि कोमा में पड़े किसी आदमी के मौत का इंतजार जैसा ही कुछ घटित होते देखने का एकमात्र विकल्प बचा रहेगा।

जो आखिरी इलाज है वह सफल हो यही कामना है!

-----

मनोजवं मारुततुल्यवेगं​
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।

No comments:

Post a Comment