कोविड का शिकार हो गये अजय पाटिल!
दत्तात्रेय लोके को गये सप्ताह ही बीता होगा कि अजय पाटिल के असामयिक निधक की खबर आ गई। जैसा कि हाल में कई बार हुआ है, इस बार भी खबर पर यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा था। पाटिल एक पारिवारिक खुशमिजाज इंसान थे और उनके साथ कई बार नासिक में मैंने काम किया था। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली हम दोनों ने साथ कवर किया था और रैली के बाद उन्होंने मुझे मेरी कुछ फोटो वाट्सएप की जो उन्होंने मुझे बताए बिना खींची थी।
कोविड 19 अचानक पहले से ज्यादा डरावना हो गया।
पिछले दिनों अजय पाटिल से कई बार बातचीत हुई थी। लॉकडाउन के दौरान वह नासिक से स्टोरी भेज रहे थे, जिनमें से कुछ स्टोरी मैंने दिल्ली में चलवाई थी। उन्हें एक स्टोरी के लिए अवार्ड भी मिला था जिसके लिए उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया था।
जो बात सबसे ज्यादा दुखी कर गई वह थी कि पाटिल के घर में हाल में ही एक और नन्हा मेहमान आया था। वह वाट्सएप पर मेरी बेटी की फोटो देखा करते थे जो मैं कभी-कभार स्टेटस बनाता था। एक बार नासिक में किसी असाइनमेंट पर काम करने के दौरान उन्होंने कहा भी था कि वह मेरी बेटी की फोटो देखते हैं और उन्हें अच्छा लगता है। उनकी भी बेटी उसी उम्र की थी शायद!
दूरदर्शन ने निश्चित ही अजय पाटिल के रूप में एक अच्छा स्ट्रिंगर खो दिया। नासिक में दूरदर्शन के यह पहले ऐसे स्ट्रिंगर थे जो प्रोफेशनल थे और जिनके साथ दिल्ली और मुंबई की टीम को काम करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आती थी। जब सब लोग किसी होटल में खाने बैठते तो अजय पाटिल पूरा बिल खुद देते थे। एक बार मैं और मेरी एक सहयोगी ने जबर्दस्ती उन्हें अपने हिस्से के रुपये दिये थे और यह भी सुनिश्चित किया था कि हमारी टीम के किसी आदमी का कम से कम खाने के रुपयों का भुगतान उनको न करना पड़े।
अजय पाटिल की उम्र शायद पैंतीस से चालीस के बीच रही होगी। ऐसी उम्र में उन्होंने न केवल अपना हरा-भरा परिवार छोड़ दिया बल्कि दूरदर्शन में भी एक शून्य पैदा कर गये।
अजय पाटिल को भूलना उनके साथ काम कर चुके किसी भी व्यक्ति के लिए आसान नहीं होगा।
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