Wednesday, August 7, 2019

अचानक

                                            ऐसी कहानी!

तुलसी जैसी फिल्म शायद ही कोई दूसरी होगी। इतनी दर्दनाक फिल्म की स्क्रिप्ट किसी न किसी जिंदगी में भी कभी न कभी जरूर ही लिखी गई होगी। हो तो यह भी सकता है कि उससे भी कराहती हुई कहानी किसी ने जी ली हो, कौन जाने!

फिल्म को एक सांस में पूरा देखना बहुत मुश्किल है। मुमकीन ही नहीं है एक तरह से। इस तरह किसी ताजा विधवा का अपना बच्चा किसी को सौंपना यह जानकर कि वह खुद भी मरने वाली है, अति से भी आगे है यह तो!

इरफान खान का तो वैसे भी जवाब नहीं है। जादुई अभिनेता हैं। उन्हीं की झलक देखकर यह फिल्म देखने का मन किया और हमेशा की तरह इरफान ने निराश नहीं किया। मनीषा कोईराला खुद ही कैंसर को अनुभव कर चुकी हैं ऐसे में उनपर यह फिल्म सूट भी करता था।

फिल्म देखने का समय शायद गलत चुना मैंने वरना इतना इमोशनल नहीं होता।

खैर!

                                                     

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