दिल्ली की दिल्लगी!
दिल्ली ने हमेशा की तरह धोखा दिया।
लॉ के दौरान भी दिल्ली ने दो बार धोखा दिया था और नौकरी के लिए तो वहां धोखे का एक सिलसिला ही रहा। जब सिकंदर ने दिल्ली नहीं जाने की वजह पूछी तो बात इतनी लंबी खिंचेगी शायद उसने भी नहीं सोचा होगा।
जिस बंदे ने लॉ की पढ़ाई मुंबई आकर की, जीवनसाथी जिसे मुंबई में नसीब हुई, नौकरी जिसे मुंबई ने दिया और विदेश दौरे से लेकर परिवार की बनावट और बसावट जिसकी मुंबई में हुई, वह दिल्ली क्यूं याद करेगा?
विधि की पढ़ाई के बाद जो बाकी रह गया था वह इस बार भी बाकी ही रह गया, इसकी वजह भी दिल्ली ही रही।
दिल्ली पर भरोसा करना या दिल्ली के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाकर भी उससे कुछ अपेक्षा करना गंभीर गलती है। खैर!
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