Tuesday, February 26, 2019

सॉरी दोस्त


                                                 अंधेरे से अंधेरे तक

यह अचानक था। उससे बात करने की कई दिनों से सोच रहा था लेकिन फोन करने के लिए समय और माहौल बन नहीं पा रहा था। बीती देर शाम स्टेशन से घर को ओर चलते हुए उसे फोन किया तो जो बात पता चली वह विचलित करने वाली थी। उसका भाई शादी कर रहा है 2 मार्च को! सवालों का एक जत्था सा महसूस हुआ अपने अंदर लेकिन कहने से परहेज ही करना ठीक लगा। हालांकि यह उसे कह गया कि परिणाम अच्छे नहीं होंगे और पीढियां भुगतेंगी इसे!

29 नवंबर से 5 दिसंबर 2012 के बीच जो सब घटित हो रहा था वह उसे मालूम था। एक बार उसने अपनी डायरी मुझे पढ़ने दी थी। पड़ोस की ही एक लड़की के बारे में उसने उसमें काफी कुछ लिखा था। सार समझकर मैंने उसे वह डायरी लौटा दी थी।

मुहल्ला पूरे तरीके से अंधकार में डूबा हुआ था। माली हालत ठीक नहीं होने के कारण उस अंधकार से निकलना उस गली में हर किसी के लिए एक चुनौती थी। कुछ परिवारों ने उस चुनौती से पार पा लिया था और कुछ छटपटाहट में जी रहे थे। वह उस अंधकार के दौर में कटिहार अपने मामा के यहां जाकर रहने लगा और फिर वहां उसने फोटोस्टेट की दुकान खोली और अपने दम पर परिवार को बहुत हद तक संभाला। समय बदला और घर के सबसे बड़े भाई को नौकरी लगी। हालांकि वह तब भी अपने अलग-अलग कामों में रमा रहा। इस बीच उसकी भी नौकरी उत्तर प्रदेश पुलिस में लगी। एक समय हम बहुत करीब थे लेकिन मेरा मुंबई आना और उसका बनारस जाना, हम दोनों को दूर कर दिया था।

बेगूसराय में जब वह समाज कल्याण विभाग में ऑपरेटर था, हमारी खूब बनती थी। जब मैं दिल्ली में इंटर्नशिप कर रहा था तबतक वह पटना में कहीं काम पर लग चुका था। हमारे और उसके बीच वे सब बातें हुआ करती थी जो उस उम्र में घटित होती है। उसे मैं भरोसेमंद लगता था और यही वजह थी कि जब वह एक लड़की की शादी में जाने को उतावला था तो मेरे मना करने पर वह मान गया था। वह दरअसल उस लड़की से प्यार करने लगा था और उसके अनुसार वह लड़की भी उससे प्यार करती थी लेकिन परिवार के दबाव में वह कहीं और शादी कर रही थी। तब मैंने उसे यही कहा था कि लड़की की शादी होने दे, लड़की दूसरी मिल जाएगी लेकिन अगर उस लड़की की शादी के समय कुछ तमाशा हुआ तो फिर शायद उस लड़की की जिंदगी में अच्छा लड़का कभी न मिल पाये!

उस रोज बाघी में सिर्फ वही मेरे साथ था, जिस रोज वहां जोरदार हंगामा हुआ था। मारपीट के बीच से उसने मुझे सुरक्षित निकाला था।

हमारे रिश्तों की गर्माहट ऐसी थी कि जरूरत पड़ने पर हम एकदूसरे को कितना भी रुपया देने के लिए हमेशा तैयार रहते थे और कभी एकदूसरे को यह याद दिलाने की नौबत नहीं आती थी कि उसे रुपये चुकाने हैं।

शायद इन सब वजहों से ही जब कल रात यह मालूम चला कि 2 मार्च को वह शादी करने जा रहा है तो मन एक तरह से क्षुब्ध हो गया।

जो उसके साथ घटित हो रहा है उसे हूबहू महसूस करने के बाद भी मन में एक टीस सी है। टीस इस बात की है कि उसका भविष्य वापस उसी अंधकार में जानेवाला है जहां से वह बाहर आया है और टीस इस बात की भी है कि मैं ऐसे वक्त में उसकी मदद नहीं कर पा रहा हूं जब उसे एक सही दोस्त की जरूरत है।


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