अच्यतानंद साहु के बहाने
दूरदर्शन के कैमरामेन अच्यतानंद साहु की शहादत के बाद संयोगवश आज अपने कैमरामेन के कई संस्मरण साझा करने का मौका मिला।
झबुआ में खराब सड़कों के बीच करीब बीस किलोमीटर प्रति घंटे की गति से जा रही दूरदर्शन की गाड़ी से कैमरा चोरी हो जाना, फिर कैमरा विभाग द्वारा सभी कैमरामेन की सैलरी से उसका रुपया काटना और फिर जाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के हस्तक्षेप के बाद हुई पुलिस दबिश से कैमरा का मिलना।
इसी तरह झबुआ के उन बदमाशों की कहानी जो लूटपाट करते हुए हत्या जरूर करते थे क्योंकि बिना हत्या या मारकाट किये लूटपाट करने को वह फोकट का खाना मानते थे और उन दुर्दांतों का मानना होता था कि रुपये यूं ही नहीं लेने चाहिए बल्कि उसके लिए मेहनत करना चाहिए और मेहनत के अंतर्गत मारकाट आता था।
इसी तरह कोहिमा में वहां के अलगाववादियों द्वारा मना करने के बाद भी दूरदर्शन के कैमरामेन का वहां जाना। अलगाववादियों द्वारा एक कैमरामेन के कनपटी पर बंदूक तान देना और फिर कैमरामेन कै बहादुरी से यह कहना कि वह वहां अपनी ड्यूटी के लिए आया है। अलगाववादी द्वारा दोनों कैमरे को कुएं में फेंक देना।
इसी तरह राजीव गांधी के प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक पत्रकार को उसके नाम से बुलाना और हालचाल पूछने के दौरान पत्रकार का यह कहना कि उसे चाय नहीं दी गई और फिर राजीव गांधी का प्रेस वार्ता को थोड़ी देर के लिए स्थगित करके उस कैमरामेन के लिए चाय मंगवाना।
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