Friday, August 9, 2024

मानखुर्द से कुर्ला के बीच

 

                                                               एक ग्रह का टलना

पहले उल्टी जैसा लगना। फिर पोटी जैसा लगना। फिर थोड़ी देर तक बेहोशी ऐसा लगना। इसके बाद शरीर का अकड़ना। फिर धीरे-धीरे आंख के आगे धूंधला छाने लगना और थोड़ी देर में सामने या आसपास का कुछ भी नहीं दिखना। यह ऐसा पहली बार था। मानखुर्द से कुर्ला के बीच का ये अनुभव दिमाग से जाने में वक्त लगेगा। अपनी असफलता का डिप्रेशन हो या मुंबई लोकल में चढ़ने के दौरान कल लगी सर पर गहरी चोट या फिर पिछले दो दिनों से उटपटांग खानपान! कुर्ला उतरते ही वहीं लेट गया। हाथ में भाग्य का दोनों नंबर लिखा और पास बैठे एक लड़के को बोला कि इस नंबर पे फोन कर दीजिए। उसने फोन किया तो भाग्य ने फोन उठाया तो लेकिन बोला कुछ नहीं। अनजान नंबर की वजह से चुप होगी शायद! मैं चाह रहा था कि फफक-फफक कर रो लूं लेकिन हो न सका। उसे मना कर दिया कि किसी को कुछ मत कहना। कहां किसी के अंदर अब इतनी संवेदना बची है कि कुछ ऐसी मदद कर पाएगा जिसकी जरूरत हो। दो-चार फोन आ जाएंगे तो अलग से सर दर्द!

भाग्य की नौकरी के बाद सबकुछ बड़ी तेजी से बदला। व्यस्तता भाग्य के लिए पहले भी थी लेकिन जिस नौकरी में वह लगी है वहां भी जबर्दस्त व्यस्तता है। अफरातफरी में उसका पूरा दिन बीतता है ऐसे में उससे सहानुभूति की कितनी अपेक्षा करूं। वह जितना कर सकती है उतना करती है लेकिन उतना पर्याप्त नहीं है।

एक अच्छी बात यह रही कि हाथ में भाग्य का मोबाइल नंबर लिखकर रखना एक अच्छा आईडिया है। कल को कुछ हो गया तो कम से कम उसको पता तो चलेगा।

जो आज हुआ वह अपने आप में भयावह था, वैसा ही जैसा तब हुआ था जब गॉलब्लैडर स्टोन का दर्द उठा था। कैसे मरते हुए मैं तब अस्पताल गया था और कैसे आनन-फानन में इंजेक्शन के बाद करीब आधे घंटे में नार्मल हुआ था। ऐसा अहमदनगर में भी हुआ था। किसी भी ग्रह का प्रकोप हो या फिर किसी की नजर ही हो या फिर मेरी अपनी ही लापरवाही हो, जो बीत रहा है वह घातक है। बहुत घातक!

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