रास्तों की चुनौतियां कम कहां हो रही!
30 मार्च का दिन एक धक्के के रूप में याद रखा जाएगा। जीवन का पहला सबसे बड़ा आर्थिक फैसला लिए एक महीने और कुछ दिन हुए कि अचानक शाम में बजे फोन ने मानसिक संतुलन बिगाड़ दिया।
ब्रोकर का फोन आया कि जमीन पर किसी ने अवैध तरीके से दीवाल देना शुरू कर दिया है। सुनते ही मन व्याकुल हो गया। धैर्य से पूरी बात सुना तो जितनी बात समझ में आई उसके मुताबिक किसी और ने उस जमीन पर दावा करके रेलिंग देना शुरू कर दिया था। जिसकी सूचना जब मेरे ब्रोकर को मिली तो वह वहां पहुंच कर न केवल काम रूकवाया बल्कि मुझे सूचना दी।
अगले दो दिनों में मामला सेटल भले ही हो गया लेकिन मन भय से भर गया। आशंकाओं से पहले से घिरे हुए मन में इस तरह की घटना ने बहुत गहरा असर किया।
अच्छी बात यह रही कि मामला लंबा नहीं खींचा और समाधान की ओर बढ़ गया।
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