पहला दिन
महीनों के भागमभाग के बाद आखिरकार तन्वी को एक स्थाई स्कूल मिल गया। तीन केंद्रीय विद्यालयों का बारी-बारी से चक्कर लगाने और काफी माथापच्ची करने के बाद तन्वी अंत में केंद्रीय विद्यालय कोलाबा 2 में दाखिल हो गई।
पहला दिन जाने का सफर दो घंटा और लौटने का साढ़े तीन घंटे का रहा।
जिस सरलता से वह बातों को सुनकर मान लेती है उससे चीजें काफी आसान हो जाती है। मम्मी से यह गुण उसे मिला है शायद।
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