Sunday, January 15, 2023

परिवर्तन


                                                        शाबाश विकास!

विकास से काफी समय के बाद बात-चीत हुई। थोड़े-बहुत अंतराल पर हमारा मिलना तो हो जाता था लेकिन बात ज्यादा नहीं हो पाती थी। किसी बड़ी कंपनी का कोई कार्यक्रम गेट-वे-ऑफ इंडिया पर था और संयोग से वह अपनी ओबी से बाहर आकर दर्शक दीर्घा में बैठा हुआ था।

मुंबई दूरदर्शन में आने के बाद 2014 से बालेंद्र और विकास दो डीएसएनजी इंजीनियर थे। दोनों ही हमउम्र ही थे और मेहनती थे। दोनों मध्यप्रदेश के थे और आपस में तालमेल अच्छा था। दोनों ही पीते थे और कई बार पीकर उनलोगों ने थोड़े-बहुत पंगे किए हुए थे हालांकि बाद में माफी वाली औपचारिकता भी वे निभाते थे। कुल मिलाकर सबकुछ ठीक ठाक था। बाद में उनकी कंपनी का दूरदर्शन का साथ अनुबंध टूट गया और फिर वे दोनों चले गए। बालेंद्र अपने घर पर जाकर कुछ काम करने लगा और विकास ने दूसरे चैनल में काम शुरू कर दिया।

विकास का जिक्र होने पर दो घटनाएं याद आती हैं। पहला, किसी हॉटल में उसने मेरे ड्रिंक में व्हिस्कि और पानी के संतुलन को जानबूझ कर बिगाड़ा था ताकि मुझे चढ़ जाए हालांकि वैसा हुआ नहीं। दूसरा, छठ के समय उसने जुहू बीच पर इतनी पी ली थी कि वह चल ही नहीं पा रहा था। इन दोनों घटनाओं को हटा दें तो कई बार उसने फिल्ड पर जबर्दस्त काम किया था। लेकिन जैसा कि होता है कि वे दो घटनाएं उन छोटी-बड़ी उपलब्धियों पर भारी पड़ी और दिमाग के एक हिस्से में जाकर घर कर गई।

                                                                तस्वीर : 25 मई, 2015

गेट-वे का कार्यक्रम केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के आने में हो रही देरी के कारण खिंचा जा रहा था और पत्रकार बेचैन हो रहे थे। इस आशंका में कि कहीं पत्रकार चले न जाएं, आयोजक ने सब पत्रकारों को पास के हॉटल ताज में खाने के लिए आमंत्रित कर दिया। सबको पता चल गया था कि मंत्री को आने में काफी देर होने वाली है और एंकर को भी सूझ नहीं रहा था कि मीडिया को कैसे रोक कर रखा जाए। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कैमरामैन का हिसाब-किताब अपना रहता है और वह मुंहफट की तरह कुछ भी बोल जाते हैं।

ताज में स्नैक्स का चक्र शुरू हुआ। पनीर, चिप्स, चिकन, सॉफ्ट ड्रिंक्स टेबल पर परोसे जाने लगे और वेटर उसे ट्रे में लेकर घूमने लगे। सबलोग एक तरह से टूट पड़े। थोड़ी देर के बाद मैंने नोटिस किया कि विकास कुछ नहीं खा रहा है बस चिप्स ले रहा है, जबकि चिकन फ्राई वगैरह सामने से गुजर चुका था। मैं पूछ बैठा तो उसने बताया कि उसने लहसून प्याज छोड़ दिया है। चौंकना स्वाभाविक था क्योंकि जो लड़का पीने को लेकर इतना उतावला रहता था उसका लहसून-प्याज तक छोड़ना बहुत बड़ी घटना थी। बातचीत में उसने बताया कि उसने किसी बाबा से दीक्षा ली है और सबकुछ छोड़ दिया है।

इस घटना ने स्तब्ध कर दिया। किसी असंभव का संभव होने से कम नहीं थी यह घटना। विकास को ऐसा देखकर अच्छा लगा लेकिन मन बार-बार यही कहता रहा कि आखिर इतना बड़ा परिवर्तन हो कैसे गया!

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