Saturday, July 9, 2022

राहों में उनसे मुलाकात हो गई

 

                                                     एक फैमिनिस्ट से मुठभेड़

समाचार की दुनिया में बहुत सारी चीजें हैं। राजनीतिक, आपराधिक, सामाजिक, वैश्विक, प्रादेशिक, राष्ट्रीय, काल्पनिक वगैरह-वगैरह। इन सब चीजों का अपना-अपना स्वाद है। 

इंडिया गेट प्रकरण के बाद पहली बार महिलाओं को लेकर एक गंभीर नकारात्मक धारणा बनी थी। यह धारणा इससे पहले के तमाम संस्मरणों से इस मामले में अलग थी कि इस मामले में मैं खुद निशाने पर था।धक्का देने के आरोप को विस्तार देते हुए मोलेस्टेशन तक करने के बाद इसे अटेम्प्ट टू रेप तक पहुंचाया जा सकता है यह सब मैंने पहली बार तब देखा था। कस्बाई पत्रकारिता करने के दौरान इतना तो मालूम चल चुका था कि "महिला" एक हथियार होती है लेकिन कभी उस हथियार की चपेट में मैं आ जाऊंगा ऐसा कभी नहीं सोचा था। खैर!

दमन के तट पर जाने के लिए निकला था लेकिन इनोवा महज तीन सौ मीटर चली होगी कि मुख्यालय का फोन आया और गाड़ी अलीबाग के लिए मुड़ गई। भाग्य को जैसे पता चला कि अलीबाग जा रहा हूं वह बिफर गई। उसने समाचार की दुनिया में जाकर पता कर लिया था कि निसर्ग का केंद्र अलीबाग है। अलीबाग जाना मतलब जान जाखिम में डालना! जैसे-तैसे उसे समझाकर और यह भरोसा दिलाकर कि मैं जोखिम से दूर रहूंगा, अलीबाग के लिए रवाना हो गया। 

करीब पांच घंटे के बाद भारी बारिश और आंधी को चीरते हुए गाड़ी अलीबाग के पास पहुंची। गाड़ी के आगे जा रही एक रसोई गैस के सिलेंडर से भरी ट्रक को पलटते देखने के बाद मैं, कैमरामेन और ड्राइवर ने एक दूसरे को देखा। गाड़ी को आंधी के सामने-सामने न खड़ी करके समानांतर खड़ी करने के बाद हमलोग गाड़ी से उतरकर पास के एक घर में चले गये।मुख्यालय को इनपुट जाता रहा।

करीब साढ़े सात बजे शाम में कत्थई आसमान जब थोड़ा साफ दिखा तो हालात का जायजा लेने हमलोग अलीबाग के तट और आसपास के गांवों में घूमकर लोगों से बात करनी शुरू की। लोगों की प्रतिक्रिया और जानमाल के नुकसान को कैमरे में रिकॉर्ड करके लौटने के क्रम में एक हृदयविदारक दृश्य ने अपनी ओर खींच लिया। एक एंबुलेंस सड़क के किनारे लावारिस स्थिति में पड़ी थी और उसके अंदर चालक की सीट पर बैठा आदमी निर्जीव अवस्था में प्रतीत हो रहा था। वह क्षेत्र अपने लिए नया था और फोन का नेटवर्क कबका साथ छोड़ चुका था। पता करके स्थानीय पुलिस स्टेशन जाकर उन्हें मामले की सूचना दी लेकिन आंधी के बाद की स्थिति को देखते हुए थाने में इस सूचना को किसी ने उतनी गंभीरता से नहीं लिया। 

इस बीच सुखद संयोग यह हुआ कि मोबाइल का नेटवर्क कम ही सही लेकिन आने लगा। रायगढ़ पुलिस को ट्विटर एंबुलेंस में पड़े उस आदमी की सूचना दी और आसपास के ग्रामीणों को वहां एकत्रित करके मैं वहां से निकलने लगा। थोड़ी देर के बाद नेटवर्क वापस चला गया और फिर ट्विटर पर क्या हुआ इसकी कुछ जानकारी नहीं मिल पाई। आंधी में कई बड़े वृक्ष गिरे हुए थे और सड़क पर कई जगह कच्चे आम ऐसे पसरे थे जैसे सड़क कंकड़ीट से नहीं इन्हीं से बना हुआ हो। चूंकि मैं निकला तो दमन के लिए था, तो बड़ा थैला गाड़ी में ही था। हमलोगों ने करीब छह-सात दर्जन कच्चे आम गाड़ी में डाल लिये ताकि मौसम साथ दे तो आंचार बनाने के काम आ जाये।गाड़ियों से कुचल दिये जाने से तो यही अच्छा था।





घर पहुंचकर जितनी खुशी मुझे भाग्य और बच्चों को सुरक्षित देखकर हुई उससे ज्यादा भाग्य को मुझे और उन कच्चे आमों को देखकर हुई। घर के आसपास बालकनी से देखने पर लगता था कि बड़ा खतरा टला है। 

कूलिंग पीरियड के बाद मोबाईल चार्ज हुआ तो अनायास ही ट्विटर देखा। रायगढ़ पुलिस ने मेरे उस ट्विट पर संज्ञान ले लिया था और अब मैं निश्चिंत हो सकता था। लेकिन मेरे ट्विट पर सिर्फ रायगढ़ पुलिस का ही जवाब नहीं आया था बल्कि एक "फेमिनिस्ट" टाइप की औरत ने भी वहां उल्टी कर दी थी। पहले तो हंसी आई फिर कंफर्म किया मुंबई के पत्रकारों से तो मालूम चला कि वह वैसी ही औरत है जैसा मैं उसे समझ रहा हूं। हाथ में गरमागरम चाय के साथ गोभी फ्राई का प्लेट लेकर भाग्य अंदर के कमरे से आई तो उसने भी एक बार मोबाइल स्क्रीन देखा। 

"जानते हैं आप इसे", चाय की पहली घूंट अंदर डालते हुए उसने पूछा। 

''कोई फेमिनिस्ट लगती है...'', इतना बोलकर मैंने उसकी प्रोफाइल चेक करना शुरू किया। 

उस औरत ने हर किसी को कुछ न कुछ उटपटांग रिप्लाई किया हुआ था और मजेदार बात यह थी कि उसके रिप्लाई को कोई गंभीरता से लेता नहीं दिख रहा था। 

जैसे : 



इससे भी मजेदार बात यह थी कि जो उल्टी उसने मेरे ट्विट पर की थी उसे एक लड़के ने वापस उसके मुंह में ही डाल दिया था। उस लड़के ने शायद उसका ट्विटर बायो पढ़ लिया था जिससे ऐसा लग रहा था कि वह औरत फ्रीलांस फैमिनिस्ट है।

         


चाय खत्म हो गई तो भाग्य वापस किचन में गई। ''हिट एंड रन'' के कंसेप्ट को फॉलो करने वाली ऐसी औरतों को यूं ही जाने देने के लिए मन मान नहीं रहा था और आखिरकार मैंने गोभी फ्राई के प्लेट को थोड़ा बगल में खिसका दिया। ट्विटर पर एक जोरदार तमाचे की आवाज आई जो मैंने लगाई थी। इसके बाद उस नारीशक्ति के मुंह से निकले झाग को देखकर थोड़ा सुकून मिला। फिर उसने अपना विक्टिम कार्ड खेलते हुए "मुंबई पुलिस" को टैग किया जिसके बाद यह पुष्ट हो गया कि वह ''फैमिनिस्ट'' ही है। मुंबई पुलिस ने उसके ट्विट को उतना ही भाव दिया जितना बाकी लोग उसे ट्विटर पर देते थे। बहरहाल दूसरी मेरी दूसरी चाय आ गई।




 


आंधी से आने के बाद पत्नी के हाथ के चाय का जो जायका होता है वह ब्रह्मांड के किसी भी जायके से बेहतर ही होता है। ट्विटर पर पहचान बनाने के लिए प्रचूर मात्रा में फेमिनिस्टों का उदय बीते कुछ वर्षों में हुआ है। जायरा वसीम ने तो सोशल मीडिया पर ही अपना एक रोता हुआ वीडियो डालकर एक ठीकठाक फैमिली मैन विकास सचदेवा की जिंदगी खराब करने का पूरा बंदोबस्त कर दिया। अच्छी बात यह थी कि विकास सचदेवा की पत्नी फैमिनिस्ट न होकर एक महिला थी तो उसने न केवल विकास को बचा लिया बल्कि यह साबित करने में बहुत हद तक सफल रही कि जायरा वसीम ने महज पब्लिसिटी के लिए हवाईजहाज में मोलेस्टेशन की कहानी गढ़ी थी।

खैर, मेरी दूसरी चाय पूरी होने से पहले फाल्गुनी ब्रह्मभट्ट नाम की इस औरत ने अपने दोनों ही ट्विट डिलीट कर दिये जिसके कारण उसकी किरकिरी हुई थी। मैंने भी भाग्य के हाथ से उसके कप और अपने कप को ट्रेकर किचन का रुख किया और उन कपों को धोने से पहले फाल्गुनी नाम की इस फ्रीलांस फैमिनिस्ट को ब्लॉक कर दिया। ब्लॉक करने से पहले कंफर्म कर लिया था कि उसने अपने अनर्गल ट्विट डिलीट कर दिये हैं।




नोट : फैमिनिस्ट का मतलब उन महिलाओं से है जो पुरूषों से नफरत करती हैं।




 

 





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