आंखों के आगे का अंधेरा छंटने में शायद उम्र बीत जाए!
आईना के सामने देखकर लगता है कि उम्र हो चली अब कि लोग गंभीरता से लेने लगें। कमरे में रखी घड़ी की तरह उम्र बताने वाली कोई मशीन भी रोज चाहे-अनचाहे सामने आ जाती तो कितना अच्छा होता! "सपने" को जीते हुए उम्र का यह पड़ाव कब आया पता ही नहीं चला!
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