रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥उस कमरे से इस कमरे तक, जो बदला वह किरदार था। जिन पन्नों से करीब डेढ़ दशक पहले दोस्ती हुई थी वह समय के साथ इतनी प्रगाढ़ हो जाएगी इसका अंदाजा तक नहीं था।
किसी के लिए भी अभिव्यक्ति का
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