Sunday, November 15, 2020

दर्दनाक

                               रात का शोर!

प्रिंट मीडिया में काम करते हुए कई बार किसी मौत के के आगे "दर्दनाक" का इस्तेमाल किया है। ऐसी कोई परिभाषा या मापदंड नहीं है आमतौर पर कि जिस कसौटी पर कसकर तय किया जाए कि मौत दर्दनाक है या नहीं। मोटे तौर पर यह काॅमन सेंस से निर्देशित विषय है

बात यही कोई 5-6 साल‌ पहले की है। पुणे में कोई सरकारी कार्यक्रम को कवर करके मुंबई लौट रहा था। दिन थका देने वाला बीता था और कैसे भी मुंबई में अपने कमरे पर आकर सोने की बेचैनी थी। देर रात से पहले मुंबई पहुंचने के लिए ओबी से ही लौटने का मन बन गया। 





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