पूनम का इस तरह चले जाना!
सिमटता हुआ सा कोई कितना भी छोटा होना चाहे कुछ निशानी इस जहां में रह ही जाती है जो उसतक उन चीजों को पहुंचा जाती है जिनसे वह छिपना चाहता है।
सालों तक जिन चेहरों को तना हुआ और जिन बालों को हरदम काला देखा था अब वह वैसे नहीं रहे, हालांकि हवाएं अब भी वैसी ही बह रही है जैसी तब थी लेकिन उन चेहरों पर अब झुर्रियां आ गई हैं और बाल उजले हो चुके हैं। पिछले कुछ महीनों में एक-एक कर कई करीबी लोगों के मरने की सूचना मिली। कई बार अनहोनी के बारे में सोचकर मन बेचैन हुआ और कई बार ऐसा लगा कि दुनियादारी को छोड़कर सबकुछ त्यागकर अध्यात्म की ओर स्थाई रूप से बढ़ा जाये लेकिन रास्ता का नहीं मिलना हर चीज को मुश्किल करता जाता है।
बिहार चुनाव की कवरेज के लिए राज्य के कई जिलों में बारी-बारी से जा रहा था और इसी क्रम में बांका से जमुई के रास्ते में था। रात ढलती जा रही थी और पूरी टीम थकी हुई थी तो तय हुआ कि तारापुर में ही रुका जाये और वहां तेजस्वी यादव की रैली को कवर करने के बाद आगे बढ़ा जाये। अतिथिगृह में कपड़े उतारकर नहाने जा ही रहा था कि फोन पर पूनम के खत्म हो जाने की खबर आई। भाभी बहुत व्याकुल सी लग रही थीं फोन पर। लगा किसी ने तेज चलती गाड़ी में अचानक रिवर्स गियर लगा दिया हो। मन छटपटा सा गया!
एक के बाद एक फोन आने लगे और फिर दफ्तर के काम में फंस गया लेकिन मन रह-रहकर भाभी की बातों की तरफ जा रहा था। बता रही थीं कि पूनम की बेटी अपनी मां के अलावा किसी के पास नहीं जाती है। कितना निष्ठुर था यह सब, सोचकर ही मन बार-बार सिहर जा रहा था। किसी अबोध को सामने मां न दिखे तो उसका चेहरा देखने के लिए जो जिगर चाहिए वह ईश्वर ने शायद बनाया ही नहीं!
दो परिवार का एक साथ अंधेरे में समा जाने की यह बर्बर वारदात की बेचैनी ने अगले कई दिनों तक मन को झकझोरे रहा। इस घटना ने स्मृतियों के एक बड़े हिस्से को इस कदर ढक दिया कि फिर दिमाग में किसी और बात के लिए कोई जगह बच नहीं पाई।
ईश्वर पूनम के दोनों परिवार को इस सदमें से उबरने की शक्ति दे!
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