अनहद : प्रणब मुखर्जी से प्रियंका चोपड़ा तक!
एक अमेरिकी टीवी कार्यक्रम के दौरान शुरू हुए विवाद के दौरान प्रियंका चोपड़ा
ने नाराज चल रहे भारतीय दर्शकों की सोच को “हिप्स एंड बूब्स” तक सीमित होने की बात कहकर प्रणब मुखर्जी की याद ताजा कर दी।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कार्यभार ग्रहण करते हुए जो भाषण दिया था उसमें
उन्होंने जोर देकर कहा था कि भूख से बड़ा कोई अपमान नहीं और वह चाहते हैं कि
गरीबों का इस तरह से उत्थान किया जाए जिससे गरीबी शब्द आधुनिक भारत के शब्दकोश से
मिट जाए।
मुखर्जी तब सरकार में थे जब योजना आयोग की रिपोर्ट ने बताया था कि देश में 80
फीसदी लोग 20 रुपये दिहारी में जी रहे हैं और वह तब भी सत्ता में जब सर्वोच्च
न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा गया था कि जो शहरी 32 रुपये और जो ग्रामीण 26
रुपये कमाता है वह गरीब नहीं है। उन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले कभी भूख को लेकर
इतना द्रवित होते किसी ने न देखा न सुना!
इसी तरह प्रियंका चोपड़ा को अबतक भारतीय दर्शकों के बारे में ऐसी टिप्पणी करते
किसी ने न देखा न सुना। तब भी नहीं जब अपनी शुरुआती फिल्म अंदाज में उन्होंने
बोल्ड सीन दिये और तब भी नहीं जब उन्होंने ऐतराज में भी अपनी बोल्डनेस को जारी
रखा। उनके बोल्डनेस को भारतीय दर्शकों ने स्वीकार किया और वह इसे लेकर दूर तक गईं।
बिपाशा वसु से लेकर मल्लिका शेरावत तक ने भी बोल्ड सिन्स की भरमार लगाई लेकिन
वह जगह नहीं बना पाईं जो प्रियंका ने बनाया। इसका मुख्य कारण यही माना जाएगा कि
भारतीय दर्शक “हिप्स एंड बूब्स” को तभी तरजीह देते हैं, जब
वह कला से प्रेरित हो!
किसी को व्यक्ति को उस रास्ते को अपमानित करने से बचना चाहिए, जिसपर चलकर वह
वहां तक पहुंचा है। प्रणब मुखर्जी और प्रियंका चोपड़ा के बीच कई ऐसी शख्सियत है
जिन्होंने मुकाम पाने के लिए हर रास्ता अपनाया और हर समझौते को एक कदम आगे बढकर
स्वीकार किया, ऐसे लोगों से हालांकि आदर्श जीवनशैली की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए
लेकिन कम से कम इतनी तो उम्मीद की ही जानी चाहिए कि उन्हें पता हो कि वह क्या बोल
रहे हैं!
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