पहली किस्त
पल दो पल- शब्द दर शब्द
कागज पर कलम से लिखना और स्क्रीन पर की बोर्ड सा लिखना एक जैसा नहीं है फिर भी कोशिश करता हूं कि जितनी बेबाकी से डायरी लिखता हूं उतनी ही बेबाकी से आज कुछ लिखूं.
जिस एक बात को मैं मान चुका हूं वह है, "आप जितनी गलतियां करेंगे आप उतना ही दूर तक जाएंगे बशर्ते आपको अपनी गलतियां पता हो."
मेरे बारे में जो बात मुझे सबसे अधिक सुननी पड़ी है वह नीचे लिख रहा हूं:
बैंक पीओ!
पल दो पल- शब्द दर शब्द
कागज पर कलम से लिखना और स्क्रीन पर की बोर्ड सा लिखना एक जैसा नहीं है फिर भी कोशिश करता हूं कि जितनी बेबाकी से डायरी लिखता हूं उतनी ही बेबाकी से आज कुछ लिखूं.
जिस एक बात को मैं मान चुका हूं वह है, "आप जितनी गलतियां करेंगे आप उतना ही दूर तक जाएंगे बशर्ते आपको अपनी गलतियां पता हो."
मेरे बारे में जो बात मुझे सबसे अधिक सुननी पड़ी है वह नीचे लिख रहा हूं:
"योगेश तुम बहुत कन्फ्यूज हो तुम्हें खुद ही नहीं पता है कि तुम्हें क्या करना है"
यह एकमात्र ऐसी बात है जो मैंने अनगिनत बार अनगिनत लोगों से सुना है. लेकिन यह अजीब विडंबना है कि मेरे पास अब भी इस बात का कोई ठोस जवाब नहीं है.
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मुझे नहीं पता कि वह क्या था लेकिन कुछ ऐसा जरूर था जिसने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा था. जब उसकी शादी की खबर मुझे दूसरे के माध्यम से मिली थी तब उस अल्टीमेटम को बीते कई महीने हो चुके थे. छह महीने का अल्टिमेटम था मेरे पास "बीमा प्रोडक्ट" बनने के लिए. उन छह महीनों में मैंने जितने लोगों को फोन, ई-मेल, ट्विट या पर्सनली मिलकर जॉब के लिए रिक्वेस्ट किया था उन लोगों की एक सूची मैंने एक जगह बनाई है.
तनावग्रस्त दौर बीता. उसके परिवार ने उसका "बीमा" कर दिया. जब उसका बीमा हो रहा था उसके कुछ दिनों बाद ही मैं कलकत्ते के रविन्द्र नाथ टैगोर इंटरनैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्डिएक साइंस में अपने पिता जी के दिल के दौरे का इलाज कराने गया हुआ था.
जैसे हर दौर बीत जाता है वैसे वह दौर भी बीता.
लेकिन उस दौर में हुई वारदात के कुछ चिथड़े मेरे दिलो दिमाग पर प्रिंट हो गये. जो एक बात मेरे मन में घर कर गई वह थी "सरकारी नौकरी". इतना समझ में आ गया कि "सरकारी नौकरी" ही वह "बीमा प्रोडक्ट" है जो बिहार में हर लड़की के परिवार वाले अपनी बेटी के लिए सुरक्षित मानते हैं.
अच्छा यह हुआ कि उन डेढ-दो सालों में हम बामुश्किल सात बार ही मिले थे वह भी बहुत कम समय के लिए.
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बैंक पीओ!
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भूलना ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है लेकिन ईश्वर सबको यह उपहार कहां देता है!
कुछ घटनाएं दिमाग में बार-बार रिवाइंड होती रहती हैं. ऐसी ही एक घटना घटी थी उस मुहल्ले में जहां मेरा जन्म हुआ. उस घटना के केन्द्र में जो लड़का था वह दुर्भाग्य से मेरा सगा भाई था.
दिन बीता, समय बीता, दौर बीता, युग बीता लेकिन जो नहीं बीता वह था वह सदमा जिसने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया था.
जो चीजें अपने आप नहीं होती उसे करना पड़ता है.
अगर आप किसी रंग को मिटा नहीं सकते तो उसके ऊपर दूसरा रंग पोत दीजिए.
अघोषित रूप से एक बड़ी जवाबदेही मेरे ऊपर आ चुकी थी. यह जवाबदेही पुराने रंग पर नये रंग को पोतने की थी.
एक ताजी हवा चाहिए उस घर को जो अब तक सरकारी नौकरी और दुनियादारी तक में सीमित रहा है. जिस स्तर की सजा उस घर को मुकर्रर की गई थी उसी स्तर की बख्शीश भी चाहिए उसे.
कुछ अलग कुछ नया कुछ ऐसा जो अप्रत्याशित हो!
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बैंक पीओ, सिविल सेवा, रेलवे, एसएससी आदि!! नाम, ख्याति, प्रतिष्ठा वगैरह वगैरह!!
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जब रात का खाना खाकर तुम सो रही होगी तब मैं मुंबई के मझगांव डॉक्यार्ड से सीधे ऑन एयर तुम्हारे टीवी स्क्रीन पर आऊंगा यह बताने के लिए कि मैं पुनर्जन्म लेकर फिर से चलना सीख गया हूं.
अपने इर्दगिर्द लोगों को देखकर बहलने लगा हूं और दिल्ली मट्रो की सीढियों से लेकर मुंबई बीच पर अठखेलियां कर रहे जोड़े मुझपर पहले जैसा असर नहीं दिखा पा रहे हैं.
तब सजीव होकर भी निर्जीव था और अब निर्जीव होकर भी सजीव हूं. मैं चल रहा हूं और खुद को चलता हुआ महसूस भी कर रहा हूं. तुम हो न!!
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"शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है,
मेरे अंदर बारिश होती रहती है"
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प्रिय जीवन,
मुझे नहीं पता तुमने इतने सारे सवालों के लिए मुझे ही क्यूं चुना लेकिन मुझे ऐसा महसूस होता है कि कहीं न कहीं कोई है जो मुझे तुमसे हारने नहीं देगा. वो मेरा आत्मविश्वास भी हो सकता है या मेरी जिद भी हो सकती है.
देखो मैदान छोड़ने वालों में से मैं नहीं हूं यह तुम जान लो. मैं बाय डिफॉल्ट जिद्दी हूं और गलतियां करने की आदत मुझमें तभी से है जब मैंने क्लास फोर्थ में एक लड़की को आई लव यू बोल दिया था. एक घंटा मुर्गा बनाए रखा था मुझे शिक्षकों ने और फिर अगले ही दिन मैंने दूसरी लड़की को प्रपोज कर दिया था.
यौवन को मैं बचपन में ही जी चुका हूं और जवानी में बुढापा जी रहा हूं. उम्र से बड़े तजुर्बे हैं मेरे ऐसा मैंने तुम्हें पहले भी कई बार अपने काम से बता चुका हूं इसलिए अब तुमसे कहता हूं कि बेकार में बार-बार परेशान करना छोड़ दो अपने सवालों से. तुम सवाल खड़े करते-करते थक जाओगे एक दिन!
तुम्हें ऐसा क्यूं लगा कि मैं आत्मसमर्पण कर दूंगा? इसका जवाब दो.
तुम्हारा!
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देखो ये जो समाज है न यह एक पिंजड़ा है.
बिहार तभी आना जब छठ का सूरज निकले. पागल हो जाओगे यहां. जवाब नहीं होंगे तुम्हारे पास देने के लिए इन लोगों को जिन्हें इस पिंजड़े की आदत लग चुकी है.
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- 1860 266 2425
"हैलो! उधर कोई है?"
"हां सर बोलिये."
"क्या आप साइक्रेटिस्ट हैं? मैंने आपका नंबर गूगल पर देखा था. मुझे शाम से डर लगता है. क्या मेरा इलाज हो सकता है?"
"सर, कहां से बात कर रहे हैं आप? आपका नाम क्या है?"
"मेरा नाम योगेश है न्यू अशोक नगर में हूं इस वक्त मैं. यहीं रहता हूं. आप बताइए न क्या आप साइक्रेटिस्ट हैं? मुझे कोई एडवाइस दीजिए न प्लीज. मैं रोज योगा और प्राणायाम करता हूं कभी-कभी नाइट शिफ्ट के कारण सुबह नींद नहीं खुलती इसलिए नहीं कर पाता हूं. क्या इसी कारण मुझे डर लगता है?"
"सर आपकी आवाज कट रही है...हैलो हैलो!!??"
"मेम आपकी आवाज आ रही है मुझे आप प्लीज बताइए मैं क्या करूं? दिल्ली में बात करने का समय किसी के पास नहीं है. आप प्लीज बताइए न कि मैं क्या करूं?"
"सर आप लोगों से बात कीजिए और दोस्त बनाइए."
"मेम आप मजाक क्यूं कर रहीं हैं. मैंने कहा न आपको मुझे दोस्ती बिल्कुल पसंद नहीं है. आपके पास कोई टिप्स है तो दीजिए वरना मैं फोन रखता हूं."
"सर आप एक नंबर लीखिए ये डॉ अमिताभ शाहा का है यह एक साइक्रेटिस्ट हैं और वैशाली में इनकी क्लीनिक है. आप इनसे मिल सकते हैं. नंबर है - 9818796611/9711303038"
"ओके. थैंक्यू मेम...हैलो हैलो मेम मैं यह बोल रहा था कि अभी इनको फोन करना सही रहेगा?"
"सर कल दिन में कर लीजिएगा. इतनी रात शायद वो सो चुके होंगे."
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सर मैं मेट्रिमोनियल डॉट कॉम से बोल रही हूं. आपने कहा था आप रजिस्ट्रेशन करवाएंगे.
देखिए मुझे शादी करनी ही नहीं है आप प्लीज मुझे आगे से फोन मत कीजिए. मैं आज ही अपना अकाउंट वहां से डिलीट कर दूंगा.
सर हमारे पास आपके लिए अच्छे ऑफर हैं...
......................
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You left me without a goodbye!
Yes I accept my defeat that I couldn't get the "deserved job", for which I was given an ultimatum of six months.
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"सर, मुझे कुछ रुपये चाहिए गुजरात जाकर एक स्टोरी करना चाहता हूं."
"कितना?"
"तीन-चार हजार चाहिए. बस आने जाने का. बाकी वहां रहने का बंदोबस्त मैं कर लूंगा."
"ठीक है. मैं इंडिया आ रहा हूं इस तारीख को. एयरपोर्ट पर मिलो. एयर फ्रांस की फ्लाइट है."
"ओके सर."
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"देखिए मैं दिल्ली में इधर-उधर से 20-22 हजार बना लेता हूं. पटना में 25000 लूंगा."
"ठीक है. तुम आओ न पहले. हम तुमको दुखी होने नहीं देंगे."
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योगेश तुम इतने कनफ्यूज क्यूं हो यार?
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और अंत में:
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कुछ घटनाएं दिमाग में बार-बार रिवाइंड होती रहती हैं. ऐसी ही एक घटना घटी थी उस मुहल्ले में जहां मेरा जन्म हुआ. उस घटना के केन्द्र में जो लड़का था वह दुर्भाग्य से मेरा सगा भाई था.
दिन बीता, समय बीता, दौर बीता, युग बीता लेकिन जो नहीं बीता वह था वह सदमा जिसने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया था.
जो चीजें अपने आप नहीं होती उसे करना पड़ता है.
अगर आप किसी रंग को मिटा नहीं सकते तो उसके ऊपर दूसरा रंग पोत दीजिए.
अघोषित रूप से एक बड़ी जवाबदेही मेरे ऊपर आ चुकी थी. यह जवाबदेही पुराने रंग पर नये रंग को पोतने की थी.
एक ताजी हवा चाहिए उस घर को जो अब तक सरकारी नौकरी और दुनियादारी तक में सीमित रहा है. जिस स्तर की सजा उस घर को मुकर्रर की गई थी उसी स्तर की बख्शीश भी चाहिए उसे.
कुछ अलग कुछ नया कुछ ऐसा जो अप्रत्याशित हो!
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बैंक पीओ, सिविल सेवा, रेलवे, एसएससी आदि!! नाम, ख्याति, प्रतिष्ठा वगैरह वगैरह!!
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जब रात का खाना खाकर तुम सो रही होगी तब मैं मुंबई के मझगांव डॉक्यार्ड से सीधे ऑन एयर तुम्हारे टीवी स्क्रीन पर आऊंगा यह बताने के लिए कि मैं पुनर्जन्म लेकर फिर से चलना सीख गया हूं.
अपने इर्दगिर्द लोगों को देखकर बहलने लगा हूं और दिल्ली मट्रो की सीढियों से लेकर मुंबई बीच पर अठखेलियां कर रहे जोड़े मुझपर पहले जैसा असर नहीं दिखा पा रहे हैं.
तब सजीव होकर भी निर्जीव था और अब निर्जीव होकर भी सजीव हूं. मैं चल रहा हूं और खुद को चलता हुआ महसूस भी कर रहा हूं. तुम हो न!!
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"शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है,
मेरे अंदर बारिश होती रहती है"
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प्रिय जीवन,
मुझे नहीं पता तुमने इतने सारे सवालों के लिए मुझे ही क्यूं चुना लेकिन मुझे ऐसा महसूस होता है कि कहीं न कहीं कोई है जो मुझे तुमसे हारने नहीं देगा. वो मेरा आत्मविश्वास भी हो सकता है या मेरी जिद भी हो सकती है.
देखो मैदान छोड़ने वालों में से मैं नहीं हूं यह तुम जान लो. मैं बाय डिफॉल्ट जिद्दी हूं और गलतियां करने की आदत मुझमें तभी से है जब मैंने क्लास फोर्थ में एक लड़की को आई लव यू बोल दिया था. एक घंटा मुर्गा बनाए रखा था मुझे शिक्षकों ने और फिर अगले ही दिन मैंने दूसरी लड़की को प्रपोज कर दिया था.
यौवन को मैं बचपन में ही जी चुका हूं और जवानी में बुढापा जी रहा हूं. उम्र से बड़े तजुर्बे हैं मेरे ऐसा मैंने तुम्हें पहले भी कई बार अपने काम से बता चुका हूं इसलिए अब तुमसे कहता हूं कि बेकार में बार-बार परेशान करना छोड़ दो अपने सवालों से. तुम सवाल खड़े करते-करते थक जाओगे एक दिन!
तुम्हें ऐसा क्यूं लगा कि मैं आत्मसमर्पण कर दूंगा? इसका जवाब दो.
तुम्हारा!
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देखो ये जो समाज है न यह एक पिंजड़ा है.
बिहार तभी आना जब छठ का सूरज निकले. पागल हो जाओगे यहां. जवाब नहीं होंगे तुम्हारे पास देने के लिए इन लोगों को जिन्हें इस पिंजड़े की आदत लग चुकी है.
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- 1860 266 2425
"हैलो! उधर कोई है?"
"हां सर बोलिये."
"क्या आप साइक्रेटिस्ट हैं? मैंने आपका नंबर गूगल पर देखा था. मुझे शाम से डर लगता है. क्या मेरा इलाज हो सकता है?"
"सर, कहां से बात कर रहे हैं आप? आपका नाम क्या है?"
"मेरा नाम योगेश है न्यू अशोक नगर में हूं इस वक्त मैं. यहीं रहता हूं. आप बताइए न क्या आप साइक्रेटिस्ट हैं? मुझे कोई एडवाइस दीजिए न प्लीज. मैं रोज योगा और प्राणायाम करता हूं कभी-कभी नाइट शिफ्ट के कारण सुबह नींद नहीं खुलती इसलिए नहीं कर पाता हूं. क्या इसी कारण मुझे डर लगता है?"
"सर आपकी आवाज कट रही है...हैलो हैलो!!??"
"मेम आपकी आवाज आ रही है मुझे आप प्लीज बताइए मैं क्या करूं? दिल्ली में बात करने का समय किसी के पास नहीं है. आप प्लीज बताइए न कि मैं क्या करूं?"
"सर आप लोगों से बात कीजिए और दोस्त बनाइए."
"मेम आप मजाक क्यूं कर रहीं हैं. मैंने कहा न आपको मुझे दोस्ती बिल्कुल पसंद नहीं है. आपके पास कोई टिप्स है तो दीजिए वरना मैं फोन रखता हूं."
"सर आप एक नंबर लीखिए ये डॉ अमिताभ शाहा का है यह एक साइक्रेटिस्ट हैं और वैशाली में इनकी क्लीनिक है. आप इनसे मिल सकते हैं. नंबर है - 9818796611/9711303038"
"ओके. थैंक्यू मेम...हैलो हैलो मेम मैं यह बोल रहा था कि अभी इनको फोन करना सही रहेगा?"
"सर कल दिन में कर लीजिएगा. इतनी रात शायद वो सो चुके होंगे."
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सर मैं मेट्रिमोनियल डॉट कॉम से बोल रही हूं. आपने कहा था आप रजिस्ट्रेशन करवाएंगे.
देखिए मुझे शादी करनी ही नहीं है आप प्लीज मुझे आगे से फोन मत कीजिए. मैं आज ही अपना अकाउंट वहां से डिलीट कर दूंगा.
सर हमारे पास आपके लिए अच्छे ऑफर हैं...
......................
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You left me without a goodbye!
I've
tried so many times but can't get her out of my mind cause every single
detail in my daily life reminds me of her. Fighting with my diary
became a routine work for me now. I wish, I could scratch the pages and
got her for my answer! I wish...!!!
Yes I accept my defeat that I couldn't get the "deserved job", for which I was given an ultimatum of six months.
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"सर, मुझे कुछ रुपये चाहिए गुजरात जाकर एक स्टोरी करना चाहता हूं."
"कितना?"
"तीन-चार हजार चाहिए. बस आने जाने का. बाकी वहां रहने का बंदोबस्त मैं कर लूंगा."
"ठीक है. मैं इंडिया आ रहा हूं इस तारीख को. एयरपोर्ट पर मिलो. एयर फ्रांस की फ्लाइट है."
"ओके सर."
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"देखिए मैं दिल्ली में इधर-उधर से 20-22 हजार बना लेता हूं. पटना में 25000 लूंगा."
"ठीक है. तुम आओ न पहले. हम तुमको दुखी होने नहीं देंगे."
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योगेश तुम इतने कनफ्यूज क्यूं हो यार?
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और अंत में:
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| Photo Credit: Sumit Roy |
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| Photo Credit: Manish Kadam |
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| Photo Credit: Laukik |
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| Photo Credit: Sagar Chougule |
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| Photo Credit: Gaurav |
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| Photo Credit: Gaurav |
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| Photo Credit: Sachin Ninave (BSE) |








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