Thursday, May 15, 2025

15 मई से अगले डेढ़ साल तक के अंधेरे की तैयारी

 

15 मई। यहां से डेढ़ साल की दूरी। डेढ़ नहीं, दो।

कदम-कदम, डेग-डेग बढ़ते हुए कहां और कितनी दूर तक आए इसका कोई हिसाब रखता तो कभी थोड़ी देर बैठकर देखते कि कितनी बार ऐसा कालखंड आया है जब सबकुछ तबाह हो गया हो। तबाही के बाद फिर से चीजों को सहेज कर रखना, जुटाना, संजोना और फिर से एक नई तबाही। 

आचार्य जी की बात में दम है इसकी पुष्टि तभी हुई जब मां को अस्पताल का चक्कर लगा। राहू का असर मां पर होता है, वही हुआ। क्या कर सकता है कोई और क्या कर लेगा अगर सबकुछ प्रतिकूल हो। 

एक-एक दिन बीतता जाएगा और ऐसे ही एक-दो साल भी बीतेगा। उसके अगले वाला भी और फिर उसके अगले वाला भी। अंत में क्या होगा! क्या जो पछतावा अभी है वही तब भी रहेगा या कुछ नए अध्याय जुड़ते जाएंगे!

उम्मीद। 


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