Thursday, July 25, 2024

नागपंचमी

 

                                                      खाने-पीने का त्यौहार

विषहर स्थान, साईकिल, बारिश, सपेरों के आसपास की भीड़ और कितनी सारी यादें जुड़ी हुई है इस नागपंचमी से। नीम का पत्ता और दही को लेकर बचपन में कितना रंग रहता था। सबने खाया, कैसे खाया, चबाया या गिल लिया...

सुबह पापाजी ने फोन पर बताया कि आज नागपंचमी है। बुरी बात यह थी कि मैं काफी देर से जगा था। घड़ी देखा तो आठ बज रहे थे। कल रात यह सोच कर सोया था कि आज फ्राईड राइस बनाऊँगा लेकिन आठ बजे जगने के बाद तो थोड़ी देर यह सोचने में लगा कि दिन को अब बिताना कैसा है और कहीं कुछ भूल तो नहीं गया। 

नागपंचमी की बात से यह तय हुआ कि अब खीर और दलपुरी बनाई जाएगी और खाने से पहले नीम दही खाया जाएगा। खीर के लिए दूध की ठीकठाक मात्रा चाहिए थी जो कि नहीं थी लेकिन इन्हीं रस्मों ने तो घर को अबतक बांधे रखा है तो इसके लिए तो कुछ भी करना पड़े तो किया जाएगा।

भारी बारिश में जाकर दूध लाना हुआ। सबकुछ जुटा लिया गया। जो नहीं जुट पाया वह था- कुआ। कटहल के कुए के लिए बारिश में छाते पकड़कर दो किलोमीटर का चक्कर लगा लिया लेकिन कुआ नहीं मिला। खैर! 

जो था, वह काफी था।


 

No comments:

Post a Comment