Saturday, June 8, 2024

 

                                                        फिर वही मानसून

मुंबई में मानसून को लेकर बहुत सारी यादें हैं अगर बैठकर साचना शुरू कर दूं तो! हिंद माता फ्लाईओवर पर पूरे दिन जाम में फंसे होने से लेकर, वरली सी लिंक से पूरे दिन लाईव अपडेट्स करना और तरह-तरह के तस्वीरों को फेसबुक पर अपडेट करके मन बहलाने के कई सारे दौर मैंने मुंबई में देखे हैं।

अब जबकि ऐसा लगता है कि एक-एक कर सबकुछ मुंबई से समेटने का वक्त आ रहा है, मन होता है कि इस मानसून को एक बार फिर से नए तरीके से फील करूं! 

अब न तो वरली सी लिंक तक जाने वाली सड़क वैसे हरी-भरी रही कि डीएसएनजी पास में लगाकर लाईव में सी-लिंक के खंभों पर चोट करती हुई पानी की लहरें दिखा सकूं और न ही नजारा ही वैसा बचा कि दिखाते हुए लगे कि हां कुछ दिखा रहे हैं! पिछले कुछ सालों में मुंबई बहुत बदल गई है और नए शहर को बदलता हुआ देखना ऐसा लगता है कि एक नया शहर बसते हुए देखा जा रहा है। खैर!

आज इस साल का पहला मानसून-लाईव हुआ डीडी इंडिया पर। हिंदी और अंग्रेजी का घालमेल ऐसा हो गया है कि लाईव में फोर के बजाय चार बोल लिया। पता नहीं किसी ने नोटिस किया होगा या नहीं लेकिन अगर कर भी लिया तो क्या फर्क पड़ जाएगा। जो हो गया जो हो चुका!

दस बजे की बुलेटिन में लाईव था और सबकुछ तैयार था। बस विल्सन सर के पहुंचने का इंतजार हो रहा था। राहुल और संदेश ने कैमरा सेट कर दिया था। अचानक पीछे जोर की आवाज आई। पलटा तो एक स्कूटी वाला बीच सड़क कर लुढका हुआ था और स्कूटी आगे से पूरी तरह पिचक गई थी। जिस गाड़ी से वह टकराई थी वह विल्सन सर की थी। विल्सन सर जेंटलमैन हैं। गाड़ी से बाहर आ गये। धीरे-धीरे बात हुई और लाईव हो जाने के बाद मीठी-तीखी होते हुए चार हजार रुपये में मामला शांत हुआ। इस बीच मेरी भी उन लोगों से बहस हो गई जिन्हें स्कूटी वालों ने बुलाकर लाया था। विल्सन सर ने कहा कि तेरह सालों में यह उनका पहला एक्सिडेंट है। मैंने उनकी ड्रायविंग देखी है। बहुत सेफ ड्राइव करते हैं और हड़बड़ाते बिल्कुल भी नहीं लेकिन वो इंग्लिश में एक मुहावरा है न "टू एर इज ह्यूमन" यानि भूल सबसे होती है। विल्सन सर ने माना कि वह ऑफिस के सामने मोड़ लेते हुए मुझे देख रहे थे और यह थोड़ी सी भूल तनावपूर्ण साबित हुई। बहरहाल, मामला रफा-दफा हुआ।

मानसून को लेकर जो एक सबसे मधुर याद है वह है 2016 की। वरली सी लिंक पर जिस टी-शर्ट में मैं लाईव दे रहा था वह किसी और की थी और लाईव के दौरान मैं इस खुशफहमी में था कि मैं बहुत अच्छा लग रहा हूं। आमतौर पर टीशर्ट में लाईव नहीं देता मैं लेकिन बारिश में मैंने खुद को थोड़ी छूट दे दी थी और उसी हरे-से दिखने वाले टीशर्ट को पहनकर लाईव दे रहा था।

मुंबई से जाऊंगा तो दूर बैठा टीवी पर मुंबई के रिपोर्टरों को लाईव देते देखूंगा तो याद करूंगा कि इस शहर की सड़कों और गलियारों में बारिश के कितने सारे अनुभव मैंने बटोरे हैं। ठंडी हवा और सहलाती हुई धूप के बीच वडा पाव और चाय की खुश्बू को क्या मैं कभी भूल पाऊंगा!


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और अंत में

इस साल बारिश के पहले लाईव की तस्वीर - लाईव रिपोर्ट लाईव रिपोर्ट 


                                                 फोटो सौजन्य : राहुल कदम


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