Thursday, January 26, 2023

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                                                       सरस्वती पूजा

नवी मुंबई से मुंबई के बीच की चौवालीस किलोमीटर की दूरी कई बार काफी बेचैन कर देती है। लोकल में सीट न मिलने पर पूरी दूरी काटनी मुश्किल हो जाती है और मन कई जगहों पर जा-जाकर ठहरता रहता है। मोबाईल की लत न लगे इसका ख्याल करते हुए बेहतर यही होता है कि दिमाग को अतीत के वीरान में ले जाकर छोड़ दिया जाए जबतक कि कुर्ला न आ जाए!

देर रात ध्यान आया कि आज सरस्वती पूजा है। वसंत पंचमी के नाम से आजकल प्रचलित यह पूजा बेगूसराय में क्या खूब रंग बिखेरता था। गली के दो-तीन सरस्वती पूजा अभी भी जेहन में इतने अंदर उतरे हुए हैं कि न तो उन्हें भूल पाना आसान है और न ही भूलने की कोई वजह है। 

गणतंत्र दिवस के रोज ही सरस्वती पूजा का होना एक संयोग है। मन में गणतंत्र दिवस से ज्यादा सरस्वती पूजा की यादें हलचल कर रही थी। रात भाग्य को झिझकते हुए बैर ले आने को बोल दिया ऑफिस से फोनपर। भाग्य भी उसी मिट्टी से आई है तो उसे मालूम था कि मिश्रीकंद की बात करना तो बेकार ही होगा तो उसने गाजर भी जोड़ दिया। अफसोस यह कि सब्जी दुकान में कुछ भी ऐसा नहीं मिल पाया जिससे सरस्वती पूजा को वैसा मनाया जा सकता जैसा दशकों पहले लोहियानगर में मनाया जाता था।

सवेरे कॉलोनी में झंडोत्तोलन के बाद फिर से प्रयास किया गया कि बैर मिल जाये लेकिन नहीं मिल सका। खैर, जैसे हर चीज बीतता है वैसे सरस्वती पूजा की सुबह भी बीतती जा रही थी। आखिरकार सबुकछ छोड़ मैं दफ्तर के लिए निकल गया। रास्ते में सरस्वती पूजा का वह इतिहास रह-रहकर दिमाग में घूम रहा था। किताबों का सरस्वती प्रतिमा के पास रखना, चंदा करके रुपये जुटाना, मूर्ति लाना, गाना बजाने के लिए बिजली के कनेक्शन का जुगाड़ और जेनरेटर को भाड़े पर लाकर उसके लिए तेल का जुगाड़ करना आदि।

मन पिछले दिनों में गोते लगाने के लिए बेचैन हुआ जा रहा था। आखिरकार सरस्वती पूजा के आयोजन में सबसे सक्रिय रहने वाले सुमित को फोन लगा दिया। उत्तर प्रदेश सरकार में पुलिस की नौकरी में लगा सुमित फोन तो ले लिया लेकिन अपनी व्यस्तता के कारण रात में फोन करने की बात कहकर बात खत्म कर दी। उसके बाद गली का कोई वैसा बचा नहीं था जिससे फोन करके उन दिनों की यादों को ताजा करके मन को बहलाया जाए। आखिरकार सर्वेश को फोन लगाया लेकिन फोन नहीं उठा। उसके बाद किसी को फोन लगाने की हिम्मत ही नहीं जुट पाई।

सरस्वती पूजा के उन सुहाने दिनों में काश फिर से लौट पाते!

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