Saturday, December 17, 2022

                                                           दिसंबर की आहट

पहले साल धीरे-धीरे आते थे, आजकल फटाफट आ जाते हैं। मतलब कि जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल...ओह दिसंबर है इस महीने के बाद!

एक साल में कुल मिलाकर पांच विशेष दिन होते हैं। सबसे पहले अप्रैल में गन्नू का बर्थडे, फिर सितंबर में अपना बर्थडे, फिर नवंबर में तन्वी का बर्थडे, उसी महीने के आखिर में हमारा मैरेज डे और फिर दिसंबर में मुझे बचाए रखने वाली भाग्यश्री का जन्मदिन। ये वैसे दिन होते हैं जो विशेष तौर पर याद रखने होते हैं, बाकी कई और भी दिन हैं जो कोई न कोई याद दिला देता है। जैसा चल रहा है लगता है कि कुछ सालों बाद ये सब दिन भी याद ही दिलाने पड़ेंगे किसी को।

बहरहाल, रिग्रेट्स को सोचकर लगता है कि अच्छा ही है कि यह साल बीत गया लेकिन फिर उपलब्धियों को सोचकर लगता है कि ओह यह साल बीत गया। मतलब कि यहां अब और कितना रहना है। अखवारों में देखता हूं तो कभी-कभी ऐसी खबर दिखती है कि कोई 103 साल का आदमी मर गया तो कोई 105 साल का। मतलब कि इतना जी रहे हैं लोग! लेकिन जीकर करते क्या हैं इतना!

खैर! दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा...

घंटे दफ्तर में, दिन घर में, महीने ऑफिस के असाइनमेंट में और साल घर-समाज की जिम्मेदारियों में...!

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