Saturday, November 5, 2022

 

सपनों में अनगिनत बार ऐसा हुआ है की किसी घनघोर दुविधा संकट परेशानी में कोई खुद को फंसा हुआ पाता है और नींद खुलने पर एक सुकून शांति राहत महसूस करते हुए चैन से कुछ देर बैठ जाता है।

वलसाड पहली बार आना हुआ है और हाईवे के पास के किसी होटल में भी पहली बार ही रहना हो रहा है। होटल प्रीत पैलेस के कमरा नंबर 312 में बीती रात की नींद शायद कुछ लंबे समय तक याद रह जाए।

चुनाव को लेकर आज यहां प्रधानमंत्री की पहली रैली है जिसे कवर करने के लिए मैं पहुंचा हूं और कई सारी चीजों को दिमाग में रखने के कारण स्वाभविक रूप से नींद को बुलाने में काफी आरजू मिन्नत मिनट करनी पड़। 

खैर तरह-तरह के पुलिस मुकदमा गिरफ्तारियां जेल की घटनाएं जेल के दौरान हो रहे उत्पीड़न पिछले दिनों एक आतंकवादी द्वारा न्यायालय में मच्छरों को पोटली में बंद करके लाकर कोर्ट को दिखाकर मच्छरदानी के लिए याचिका दायर करना और उस याचिका का न्यायालय द्वारा ठुकरा जाना, कुछ दिन पहले ऑफिस के ड्राइवर राम उपाध्याय द्वारा ठाणे जेल की व्यथा सुनाना और बताना कि वह कभी वैसा काम नहीं करेगा कि उसे जेल जाने की नौबत आए क्योंकि वहां जितने बड़े मच्छर हैं वैसा उसने कभी नहीं देखा वहां जो उड़ने के लिए दिया जाता है उसको नाक तक लाना बहुत मुश्किल होता है वगैरा-वगैरा।

कहते हैं सुनी और देखी चीजें दिमाग के किसी कोने में बैठ जाती हैं शायद वैसे ही इन सब चीजों को लगातार देखने और सुनने के कारण मन में पुलिस जेल अपमान न्यायालय गंदी-गंदी देवालय और तमाम और नकारात्मक चीजें दिमाग पर हावी होती जा रही थी लेकिन यह कहां मालूम था कि यह सब चीज है दिमाग में स्टोर हो चुके होंगे।

किसी को किसी वजह से मारा गया जो मारने वाला था उसको शायद मैंने गूगल पर भी कुछ पैसे भेजे थे जिससे यही लग रहा था कि वह हत्या में अपराधिक साजिशकर्त मैं ही हूं पुलिस आई गिरफ्तारियां हुई आंखों के सामने वही सब घूमने लगा जिसका डर था मन बेचैन हो उठा कई बार लगा कि काश यह सपना हो लेकिन बार-बार यह हकीकत लगता था सपनों के अंदर सपना खोजना पहली बार बीत रहा था बहरहाल या कशकश पूरी रात चली और जब नींद खुली तो लगा कि किसी बड़े संकट से निकलकर बाहर आ गए हैं।

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