आवश्यकता है एक पीड़ित की
अजमेरा कुछ दिनों से मलाड वाले पुराने फ्लैट को छोड़कर दूसरे फ्लैट में आ गये हैं। पहले वाले फ्लैट में वह तीसरे मंजिल पर रहते थे, जहां ओबी वैन का केबल ले जाने में समय भी लगता था और ओबी को पार्किंग में भी दिक्कत होती थी। इस कारण एक चैनल के प्राइम टाइम में वह दिखते दिखते रह गये।
नया वाला फ्लैट अच्छा है. ग्राउंड फ्लोर में एक कमरा है, जहां झूला लगा हुआ है. साठ मीटर के केबल के बजाय अब मुश्किल से तीन-चार हाथ केबल लगता है. खिड़की के इस पार ओबी वैन और खिड़की के उस पार से सोफे पर बैठकर किर्ती अजमेरा जी। बारी बारी से हर चैनल को बताते हैं कि उन्हें सरकार ने एक रुपया भी मुआवजा नहीं दिया।
दो से तीन रिंग में फोन उठता है। उधर एक महिला फोन लेती हैं। वह महिला अजमेरा जी की बेटी या बहु हैं. आठ से नौ. आठ से नौ तो आईबीएन को दिया है. देखिए न बस दस मिनट। ओके आप शुरू में लेने वाले हो या अंत में. बस हेडलाइन है यह समझ लीजिए। ओके आ जाइए।
फ्लैट के बाकी लोग ओबी को पास से देखते हैं। ऊपर छाता उठा हुआ है। जेनरेटर आवाज कर रहा है और अंदर लगे मोनीटर पर कुछ-कुछ दिख रहा है। श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी लॉन्च होते वक्त बिहार के किसी गांव में दूरदर्शन पर लाइव देखने वाले चाचा की तरह ही इनके चेहरे पर भी कौतुकता है। रोमांच है। उत्सुकता है। उथल-पुथल है।
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कुल मिलाकर 257 मृतकों की आवाज बनकर उभरे अजमेरा जी |
लेकिन टाइम तो आपने हमें दिया था.
अर्रर्रर्र...सर फोन मत लीजिए आपको फ्रेम में काटा हुआ है। इधर नहीं कैमरे की तरफ देखिए। हां ठीक है।
“नौ बजे वाले में पैनल पर और कौन कौन हैं”, घरेलू परिधान में पास बैठी नवविवाहित महिला का सवाल है।
चैनल वाले ने चालाकी दिखाते हुए बोला शायद प्रशांत भूषण हैं।
महिला के चेहरे पर घिरनी नाची, भाव छुपाया लेकिन छुपा नहीं। टाइम फाइनल हो गया। दूसरे चैनल का बंदा हाथ मलता रह गया। अगर उसने भी झूठ बोल दिया होता कि उसके पैनल में राम जेठमलानी हैं तो अजमेरा जी उसके चैनल पर होते अभी. पहला वाला अनुभवी निकला। बस एक बार फ्रेम में कट जाओ अजमेरा जी, फिर पता चलेगा पैनल पर रामखेलावन है या नटवरलाल!
शो शुरू.
“सो मिस्टर आजमेरा, डू यू....”
“देखिए ये तो...लेकिन अबतक एक रुपया भी नहीं मिला....लेकिन अब तक....लेकिन अब...”
परदा गिरता है।
“सीडी याद करके दे दीजिएगा” नेपथ्य से आवाज आती है।
परदा गिरता है!
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तमाम चीजों को सामने रखकर अगर विश्लेषण शुरू किया जाए तो यकीनन वह विश्लेषण अपने निष्कर्ष तक पहुंचने से चूक जाएगा।
जिस वक्त याकूब मेमन की पुनर्विचार याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय आना था, उसी वक्त नेस्ले और खाद्य नियामक के वकील बॉम्बे उच्च न्यायालय में अपनी दलील पेश कर रहे थे, ठीक उसी वक्त मनी लाउंड्रीरिंग के मामले में गैर जमानतीय वारंट के लिए प्रवर्तन निदेशालय बॉम्बे के एक विशेष अदालत का दरवाजा खटखटा रहा था और उसी वक्त सलमान खान हिट एंड रन मामले में सत्र न्यायालय में बतौर विशेष लोक अभियोजक प्रदीप घरत एक दिलचस्प खुलासा कर रहे थे।
सभी राष्ट्रीय समाचार चैनल के कम से कम एक और अधिक से अधिक तीन रिपोर्टर कोर्ट परिसर में मोर्चा संभाले हुए थे।
अफरातफरी मीडियावालों की नियमित जीवनशैली का एक हिस्सा बन जाता है। अगर वह मुंबई में किसी राष्ट्रीय चैनल का क्राइम रिपोर्टर हो तो फिर कहना ही क्या!
मुंबई की बारिश भी पहली ब्रेकिंग न्यूज होती है।
इस बीच अगर रिपोर्टर को तत्काल 1993 के केिसी ब्लास्ट से अचानक इंटरव्यू करने के लिए कहा जाए तो वह सबसे पहले मार्केट में उपलब्ध प्रोडक्ट को पटाता है।
आजमाया हुआ प्रोडक्ट में जोखिम कम रहता है।
सबकुछ एक प्रोडक्ट है। कमोडिटी है। रेट है। डिमांड है। सप्लाई चेन है। मार्केटिंग है।
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और अंत में आपके लिए एक दिलचस्प फोन बातचीत छोड़ रहा हूं...आधे घंटे के पचास हजार...नीचे दिए लिंक पर क्लिक कीजिए
Money hai to byte hai...
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