सवालों में जकड़ी जिंदगी
एकता कपूर के सीरियल की तरह
ही जिंदगी कई एपिसोड में बंटी हुई एक कहानी की तरह है जो लिखी जा रही है और हर
एकांकी एक दूसरे से जुड़ा हुआ है. कभी-कभी लगता है सबकुछ ठीक हो गया या अगले
एपिसोड तक ठीक हो जाएगा.
कुछ तो है जो मैं न मानने
की जिद कर रहा हूं. जिंदगी बीजगणित के सूत्र से हल किया जाने वाला कोई समीकरण होता
तो कितना अच्छा होता! चाहे कितने पन्ने बर्बाद होते लेकिन मालूम चल जाता कि
समीकरण सही है या गलत.
बराबर के इस पार और उस पार
एक भारी-भरकम श्रृंखला है, जो टुकड़ों में बंटी है. इसमें इतिहास है, मनोविज्ञान
है, जरूरत है, चुनौतियां है, परिस्थितियों का पूरा विवरण है और इन सबके बीच कहीं
मैं हूं. मैं दोनों तरफ हूं लेकिन दोनों तरफ मेरे अलावा सबकुछ अलग है विस्तृत है
और काफी उलझा हुआ है.
श् और स् इन दो शब्दों से
शुरू होने वाले नामों से लगने वाला डर स्थाई क्यूं होता जा रहा है!
जिस तरह उस राजा की जान
उसके तोते में बसी थी उसी तरह कुछ जानें परछाइयों में बसी होती हैं. परछाई यानि
आत्मविश्वास. होने का आत्मविश्वास.
पूरी ताकत से फिसलते जा रहे
आत्मविश्वास से जो लड़ाई पिछले दो सालों में की उसका शुरुआती नतीजा अच्छा रहा
लेकिन अब फिर ऐसा लग रहा है कि इस बार पिछली बार से भी कंटक चक्रव्यूह इंतजार कर रहा है.
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प्रिय ख,
मैंने तुमसे जो बात कही थी उसे प्लीज किसी को मत बताना. तुम्हें
पता है मैं तुम्हें सबकुछ क्यूं बताता हूं? इसलिए क्यूंकि तुम बहुत मजबूत हो. मुझे भरोसा है
कि तुम नहीं टूटोगे. तुम्हारे अंदर का ठोस मुझे ठोस करता है और मुझे पूरा भरोसा है
कि तुम मुझसे अपने दिये की कभी कोई कीमत नहीं मांगोगे.
लेकिन मुझे तुमसे एक शिकायत है जो मैंने कभी तुमसे नहीं कहा लेकिन
आज कहने का मन कर रहा है. मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई जो तुमने मुझे जवाब देना छोड़
दिया? पहले तो तुम ऐसे नहीं थे! याद है जब मैंने उस रात तुम्हें आंसुओं से साफ करके तुममे
अपना चेहरा देखा था तो तुमने मुझे संभाला था और आगे बढ़ने के कुछ मंत्र दिए थे.
अब जबकि तुम्हारे ही दिए उन मंत्रों को साधकर मैं आगे निकल आया
हूं, मुझे फिर से एक नई उलझन ने घेर रखा है और तुम हो कि कुछ बोलते ही नहीं! क्या तुम मेरे चरम पर
पहुंचने का इंतजार कर रहे हो! तुम्हें पता है कि हंसी-मजाक मुझे कतई पसंद नहीं है और अगर
तुम मेरे आत्मविश्वास की परीक्षा लेने के लिए कोई नया समीकरण बना रहे हो तो मेरी
एक बात कान खोलकर सुन लो, मुझमें उतनी ऊर्जा नहीं बची है कि मैं ताउम्र यही खेल खेलता
रहूं. समय ने मेरे लिए आगे कई बैरिकेट्स खड़े कर रखे हैं जिसे मुझे पूरी रफ्तार
में खुद को संतुलन में रखते हुए पार करना है ऐसे में तुम ऐसी बेवफाई न करो.
तुम्हारा
मैं.
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