यह लेख न्यूयोर्क टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है, इसे इंग्लिश में पढने के लिए इस लिंक पर चटका मारें!
बाजार का 'पानी'
बहुत पुरानी कहावत है "आप पानी खरीद नहीं सकते, आप बस उस तक पहुंचने का खर्च दे सकते हैं"। ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिकियों ने 2006 में सील बंद पानी के बोतल के लिए 11 बिलियन डालर क्यूं खत्म किये जबकि इतना पानी वे अपने घर में लगे नलों से इस कीमत के दस हजारवें हिस्से कम का भुगतान करने पर पा सकते थे ? इसका सीधा सा जबाव है बाजार! पानी का बाजार। जानी मानी लेखिका एलिजाबेथ रायट इस घटना का गहराई से अध्ययन करती हैं। उनका मानना है कि ऐसा सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक व अन्य परिवेशों में निरंतर आ रहे परिवर्तन या पतन के कारण हो रहा है। सील बंद पानी की बोतल के लगातार बढ़ते प्रचलन को बोतलमीनिया का नाम देते हुए एलिजाबेथ कहती हैं कि उनके पास नल के पानी का सेवन करने का लंबा तजुर्बा है। पानी जैसी प्राकृतिक संपदा की सुलभ उपलब्धता को लेकर अपने विचारों के आधार पर लिखी एक किताब "बोतलमीनिया: हाव वाटर वेंट ओन सेल एंड व्हाई वी बाउट इट" के अंत में उन्होंने नल के पानी से तौबा न करते हुए सीलबंद पानी की बोतलों से पीछा छुड़ा लेने तक का जिक्र किया है.
यह जानना दिलचस्प है कि1987 में अमेरिका के लोग 5.7 गैलन पानी सीलबंद बोतलों से पीते थे, लेकिन मैडोना सरीखी अभिनेत्रियों द्वारा बेहद अश्लीलता के पुट से बने आकर्षक तरीके से बने विज्ञापन और सील बंद पानी के बोतल के उपयोग के समर्थन में शुरू किए अभियान, जिनमें "ट्रथ आर डेयर" नामक अभियान खास था, ने 1997 तक अमेरिका में सील बंद पानी की खपत दोगूनी कर दी। विज्ञापनों को ऐसा बनाया गया ताकि बोतल वाले पानी न पीने वाले लोगों को हेय नजर से देखा जाए मसलन चेहरे को सुन्दर बनाने के लिए किये गये क्रीम के विज्ञापन में ये दीखता है कि लोग काले लोगों से दोस्ती नहीं करना चाहते और उसे हारकर दोस्त बनाने के लिए क्रीम लगाना पड़ता है. पानी के व्यवसायीकरण की इस सफलता के बाद 2000 में पेप्सीको समूह की सीलबंद पानी बोतल की कंपनी क्वाकर आट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने अभिमान से कहा कि "नल का पानी सबसे बड़ा शत्रु है।" 2005 तक यह शत्रु पीने के बजाय धोने के काम आने लगा और 2006 में एक्वाफिना, जो कि पेप्सिको की कंपनी है, ने 20 मिलियन डालर सीलबंद पानी बोतल पर खर्च करके यह संकेत दे दिया कि अमेरिकी ‘ज्यादा पानी पीते हैं‘! इस साल 27.6 गैलन पानी की बिक्री सीलबंद बोतलों में की गई।
लेकिन बाजार हमेशा दोतरफा रुझान देता है. जैसे जैसे बोतल के पानी को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक और किडनी के लिए वरदान घोषित करने का प्रचार किया जाने लगा वैसे वैसे बोतल में बंद पानी के पीछे दुष्ट और स्वार्थी तत्वों की भागीदारी भी बढ़ने लगी। आखिरकार पानी पर हो रहे खेल के उपर से परदा उठना शुरू हो गया और 2006 में नेशनल कालिशन आफ अमेरिकन नन्स ने बोतल बंद पानी का जोरदार विरोध इस नैतिक आधार पर करना शुरू किया कि पानी एक प्राक्रतिक संपदा है और इसका निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। पानी के निजीकरण का मतलब है कि जिसके पास पैसा नहीं है उसे पानी से वंचित रखना जबकि पानी की उपलब्धता के लिए प्रकृति हमसे कोई कीमत नहीं लेती है। इसी बीच नए आंकड़े आए जिसमें बताया गया कि हर साल 17 मिलियन बैरल तेल सिर्फ इन बोतलों के उत्पादन में खपत होता है। वहीं एक विशेषज्ञ के अनुसार बोतल के उत्पादन, ढुलाई और बिक्री में लगने वाला अतिरिक्त खर्च तेल की इस कुल लागत का एक चैथाई है। सेन फ्रैन्सिस्को से लेकर न्यूयार्क तक के मेयर का ध्यान अचानक करदाताओं के पैसे की इस बर्बादी और पर्यावरण के लिए उत्पन्न होने वाले संभावित खतरे की ओर गया। इसके बाद इनमें से कुछ ने अपने शहर में चल रहे बोतल बंद पानी की कंपनियों ने अपना करार रद्द कर लिया। वहीँ शिकागो ने इन कंपनियों पर कड़े कर निर्धारण कर दिए. इसके अलावे खास लोगों जिनमें मेट डेमन और मैडोना शामिल थीं, ने अब बदलते माहौल में जल को परोपकार के लिए उपयोग करने और घरेलू जल के समर्थन में अभियान चलाया।
रायट पूछती हैं कि अगर बोतल के समर्थन और उसके विरोध में आंदोलन शुरू हो रहे हैं, तो यह सोचना दिलचस्प है कि मुद्दा भटक चुका है। मुद्दे का विषय पानी है न कि बोतल। रायट अपने किताब ‘गारवेज लैंड‘ में कहती हैं कि इस विषय को और गहराई में जाकर पड़ताल करने की जरूरत है।
फ्रायवर्ग शहर की बात करते हुए वह कहती हैं कि वहां के तीन हजार लोगों ने नेस्ले के पोलेंड स्प्रींग द्वारा एक साल में करीब 168 मिलीयन गैलन पानी के दोहन को बंद करने का प्रयास कर रहे हैं। जब वह वहां पहुँचीं तो वहां इसको लेकर घमासान मचा था। पड़ोसी आपस में झगड़ रहे थे और कई तरह की अफवाहों जिनमें योजना आयोग की गोपनीयता भी शामिल थी, ने अपनी जगह बना ली थी। वह कहती हैं कि उन्होंने पानी का प्राकृतिक संपदा से आर्थिक ताकत बनने की घटना फ्रायवर्ग शहर में महसूस की। उन्होंने वहां स्थानीय लोगों को काफी कुंठित देखा। यह दृश्य जल युद्ध की तरह था। दिनभर में पानी के करीब 92 टैंकर उस इलाके में जलापूर्ति करते थे, वहां के लोग यह महसूस करने लगे थे कि उनकी घेराबंदी की जा चुकी है क्योंकि जल का श्रोत साफ होने के बावजूद देश की नदियों और झड़नों का चालीस फीसदी हिस्सा तैराकी या मतस्य पालन के लिए भी प्रदूषित हो चुका था। फ्रायवर्ग के लोगों ने पानी कंपनियों को मार भगाने का प्रयास किया। कंपनियों के खिलाफ वहां के लोगों ने माइन के सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा कर दिया और शहरों में कई जगहों पर इस समस्या को लेकर बैठकों का आयोजन किया गया।
वहीं दूसरी ओर न्यूयार्क शहर से दूर अशोका जलाशय के पास रायट ने देखा कि वहां सुरक्षा गार्ड की बड़ी संख्या तैनात है। वह टकटकी लगाती रह गईं जब उन्हें पानी के पीछे चल रहे खेल नजदीक से दिखने लगे। उन्होंने देखा कि किस तरह 300 मील लंबे सुरंग, जलसेतू और 6200 मील की प्रमुख वितरण प्रणाली स्थापित की गई है। राजनीतिज्ञों और इंजीनियरों की मिलीभगत से देश, देश न होकर एक खजाना बनता जा रहा था। पानी की गुणवत्ता को पूंजीगत लाभ के कारण बुरी तरह से प्रभावित किया गया। रायट कहती हैं कि अमेरिका को जल की आधारभूत संरचना को पुनर्जीवित करने के लिए 2020 तक 290 बिलियन डालर खर्च करना होगा।
रायट अंत में कहती हैं कि वह कोई भी पानी पीने से पहले कम से कम दो बार सोचती हैं। पानी में आर्सेनिक, गेसोलीन के तत्व के अलावे 82 प्रकार में औषधीय मिलता है। लोग जो नल का पानी पीते हैं उस पानी में कम से कम 10 विभिन्न प्रकार के प्रदूषित तत्व मौजूद हैं। पानी के निजीकरण के पीछे एक बड़ा खेल खेला जा रहा है। रायट कहती हैं कि अगर आपको यह लगता है कि आप बोतल बंद पानी पीकर स्वास्थ्य को लेकर निश्चिन्त रह सकते हैं तो यह एक भारी भूल है। पानी का निजीकरण करने के बाद उसे ज्यादा से ज्यादा बेचने के लिए मीडिया की मदद से प्रचार किया गया कि व्यक्ति को दिनभर में आठ लीटर पानी पीना चाहिए जबकि डाक्टर ये मानते हैं कि प्यास लगने पर पानी पीना ही लाभदायक है।
No comments:
Post a Comment