Saturday, April 6, 2024

सुकून-ए-कोना

                                                   तुम्हारा होना जरूरी है मेरे आसपास!

एक कुर्सी  और एक टेबल!

घाटकोपर में 2014 में सेकंड हैंड ली गई वो कुर्सी-टेबल इतने समय तक चल जाएगी, सोचा नहीं था।

ऐसा कई बार होगा जब मैंने भाग्य को कहा होगा कि जब मैं इस टेबल-कुर्सी पर अपनी पोजीशन लेता हूं तो लगता है सबकुछ नियंत्रण में कर लूंगा। मुझे यहां बैठकर ऐसा लगता है कि किसी बड़े जहाज को मैं चला रहा हूं और सामने दूर-दूर तक बस पानी है। मैं चाहे तो दायां-बायां या इसकी गति कम-ज्यादा कर सकता हूं।

मेरा प्रयास तो यही होगा कि जबतक रहूं यह टेबल मेरे साथ रहे। भले ही मुझे कई बार ऐसा लगा कि इसके आकार कम होने के कारण दिक्कत हो रही है लेकिन फिर लगा कि जितने बड़े कमरे में मैं पिछले डेढ दशक से रह रहा हूं उसके हिसाब से तो इससे अच्छा दूसरा टेबल हो ही नहीं सकता है मेरे लिए।

इस टेबल पर ही मैंने अपने पूरे लॉ की पढ़ाई की औऱ इसी पर पढ़कर भाग्य भी सरकारी सेवा में आई। अब इस टेबल से और ज्यादा लगाव हो गया है।

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